समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 03.09.2017
मुकुट सक्सेना
01.
निर्जन में नील झील
झील में उतरा चाँद
चाँद-/बिना पदचाप
हिलोर ही हिलोर
और वहाँ कोई नहीं।
02.
अन्तस में
कोई एक दर्प/बिखरा
किर्च-किर्च/बेआवाज़
और वहाँ कोई नहीं।
03.
बाँस का वन
पवन चक्राकार
चतुर्दिक आग ही आग
आग की लपटों में/खरगोश
और वहाँ कोई नहीं।
04.
रेत पर
बनते-मिटते चिन्ह
मुट्ठी से फिसलता
काल
और वहाँ कोई नहीं।
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05.
चिनार और वर्फ
वर्फ और चिनार
बीच में बन्दूक
और वहाँ कोई नहीं।
06.
पाँडव और कौरव
शकुनि
और चौसर की बिसात
अकेली द्रोपदी
और वहाँ कोई नहीं।
- 5-ग 17, जवाहर नगर, जयपुर-302004, राजस्थान/मो. 09828089417
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