Sunday, August 13, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-23

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  13.08.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल श्री नरेश उदास जी की क्षणिका। 


नरेश उदास




01.
चीटियाँ चलती हैं
लाइन बनाकर/साथ-साथ
चीटियाँ चलती हैं
एक साथ
चीटियाँ चढ़ती हैं
फाँदती हैं दीवारें!

02.
बच्चा/बात-बात पर रोता है
बात-बात पर गुस्साता है
बच्चा टी.वी. से
यही तो सीख रहा है 
आजकल!

03.
सोते हुए/सपने लेता हूँ
जागता हूँ तो
मेरे सामने कठोर यथार्थ होता है
जिससे मुकाबला करता हूँ
ज़रा भी नहीं डरता हूँ।

04. 
आसमान है धुआँ-धुआँ
हवा हो गई है जहरीली
रेखाचित्र : रमेश गौतम 
इसके बारे में सोचो
सुलझाओ सब मिलकर
यह पहेली।

05.
महानगर
रात भर जागता है
क्या-क्या नहीं पलता है
इसकी कोख में
लेकिन महानगर
इसकी परवाह/कब करता है!

  • अकाश-कविता निवास, लक्ष्मीपुरम, सै. बी-1, पो. बनतलाब, जि.  जम्मू-181123 (ज-क)/मो. 09418193842

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