समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 06.08.2017
चक्रधर शुक्ल
01. अन्तर्जाल
भावी पीढ़ी
अन्तर्जाल में
हल खोज रही है
जिंदगी यहाँ है
वह उसे कहाँ ढूँढ़ रही है!
02. फेरी वाला
फेरी वाला
आवाज लगाये,
मोल-तोल करते-करते
वो थक जाये!
03. डर
डर
उसको खा गया,
देह का बलशाली
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया |
04.
देह
लकड़ी से जल जाएगी
यह जानते हुए
आदमी इतराता,
काम, क्रोध, मद, लोभ को
गले लगाता!
05. ऐसे में
सूरज
ऐसे में
आग का गोला
क्यों नहीं बन जाता
कोहरा डर जाता।
- एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027, उ.प्र/मो. 09455511337
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