समकालीन क्षणिका खण्ड/अंक-02 अप्रैल 2017
रविवार : 23.06.2017
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल श्री शिव डोयले जी की क्षणिका।
शिव डोयले
01. प्रतीक्षा
दीवार से टिकी
रात करती रही
इन्तजार
अब होगी सुबह
लौटकर आयेगा
सूरज
02. प्रणय
राई से
कागज पर
फागुन लिखता
छंद
रात नशीली हुई
महक उठी
मादक गंध
03. ताजगी
फिर हरी
हो गई
दर्द की फसल
आँसुओं के
सींचने से
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल श्री शिव डोयले जी की क्षणिका।
शिव डोयले
01. प्रतीक्षा
दीवार से टिकी
रात करती रही
इन्तजार
अब होगी सुबह
लौटकर आयेगा
सूरज
02. प्रणय
राई से
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा |
फागुन लिखता
छंद
रात नशीली हुई
महक उठी
मादक गंध
03. ताजगी
फिर हरी
हो गई
दर्द की फसल
आँसुओं के
सींचने से
- झूलेलाल कॉलोनी, हरीपुरा, विदिशा-464001 (म.प्र.)/मो. 09685444352
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