Sunday, July 16, 2017

खण्ड-2 के क्षणिकाकार-15

समकालीन क्षणिका             खण्ड/अंक-02                   अप्रैल 2017



रविवार  :  16.07.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के अप्रैल 2017 में प्रकाशित खण्ड-2 में शामिल  सुश्री शोभा रस्तोगी जी की क्षणिका।


शोभा रस्तोगी 




01.
आज फिर
कोख कोई 
क़त्ल हुई होगी 
पत्ती
शाख से हरी 
गिरी है एक।

02.
कागज़ पहने कुछ अल्फाज़...
छायाचित्र : रितेश गुप्ता 
अक्षरों की स्याह तड़प 
पढ़ लेना इश्क का
चश्मा बन।

03.
मेरे दिल का दर्द 

तुझसे बयां हो गया 
मेरा मौन सब कह गया 
टपकती रही व्यथा मेरी 
बन लौ 
तू मोम-सा पिघलता रहा। 

04. उम्मीद
रख दी उसने चुपचाप 
मेरे तकिए नीचे उम्मीद 
जो जगी मैं
आज तक जगी हूँ

  • आर.जेड.डी-208-बी, डी.डी.ए. पार्क रोड, राजनगर-2, पालम कालोनी, नई दिल्ली-77/मो. 9650267277

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