समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 65 मार्च 2019
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
रविवार : 31.03.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
माधव नागदा
01. अकाल
घन काले
घने
आसमान में बने
और पिघले
उम्मीदें बांझ हुई
ये बादल
अकाल के
बेली निकले
02. सृजन
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता |
कुछ सूझता ही नहीं
जब
बलपूर्वक बांधता हूँ मन
छोड़ता हूँ उन्मुक्त
तो उड़ान ही उड़ान
सृजन ही सृजन
- ग्राम व पोस्ट: लालमादड़ी (नाथद्वारा)-313301 (राजस्थान)/मो. 09829588494
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