समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 63 मार्च 2019
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
रविवार : 17.03.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
उमेश महादोषी
01.
साँप की पीठ पर सवार
छिपकली हँसती है
साँप गाता है-
प्रेम-गीत
बहुत खुश है आज
जंगल!
02.
मैं तुम्हारा शरीर हूँ
और तुम मेरी आत्मा
ऐसी कोई बात नहीं है
बात केवल इतनी है-
हम दोनों
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता |
थोड़ी देर में
उठकर चले जायेंगे।
03.
तुम न मिले
तो यह हुआ
हम/सर्द होते
जम गये
और जब
सूरज चमका
गल गये
- 121, इन्द्रापुरम, निकट बी.डी.ए. कॉलोनी, बदायूँ रोड, बरेली-243001, उ.प्र./मो. 09458929004
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