समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 66 अप्रैल 2019
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
रविवार : 07.04.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
ज्योत्स्ना प्रदीप
01.
पहाड़ों पर
किसी ने
सुन्दर चित्र बनाया था
फिर उस पर
लहू कैसे उतर आया था !
02.
ताबूत की छाती
ग़मगीन थी
अभी देखना था
उसे
कई कालेजों को
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया |
03. इन्तज़ार
ख़ौफ़ से टूटते
पत्ते चिनार के
ढूँढ रहे है
आज भी निशाँ
प्यार के !!
- मकान-32, गली नं. 09, न्यू गुरुनानक नगर, गुलाब देवी हॉस्पिटल रोड, जालंधर-144013, पंजाब/मो. 07340863792
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