समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 69 अप्रैल 2019
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
ज्योत्स्ना प्रदीप
01.
कल
लोगों से
अपने दोस्त का
पूछा पता था
हर आँख में
क्यों शक़ का
धुआँ था !
02.
समय
ये रंग भी
दिखलाता है
लोगों से घिरा
शख़्स ही
तन्हाई की ग़ज़ल
गाता है!!
03.
गुलाब का अंदाज़
बड़ा सरीखा
हँसकर
शबनमों को
छुपाने का हुनर
न जानें उसने
कहाँ से सीखा!
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
रविवार : 28.04.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
ज्योत्स्ना प्रदीप
01.
कल
लोगों से
अपने दोस्त का
पूछा पता था
हर आँख में
क्यों शक़ का
धुआँ था !
02.
समय
ये रंग भी
दिखलाता है
लोगों से घिरा
शख़्स ही
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा |
गाता है!!
03.
गुलाब का अंदाज़
बड़ा सरीखा
हँसकर
शबनमों को
छुपाने का हुनर
न जानें उसने
कहाँ से सीखा!
- मकान-32, गली नं. 09, न्यू गुरुनानक नगर, गुलाब देवी हॉस्पिटल रोड, जालंधर-144013, पंजाब/मो. 07340863792
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