समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-04/366 जनवरी 2025
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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 05.01.2025
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
कनक हरलालका
01./
मुसलसल...
दौड़ती जा रही
जिन्दगी...
जिस्म के...
पहियों पर
सवार...
राहते जां
की तलाश में...
02.
सपनों /और उम्र ने
सफर की शुरूआत
एक साथ ही तो की थी
पर फिर हुआ
कुछ यूँ कि
सपने
किनारे खड़े रह गयेरेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन
और उम्र
बहती चली गयी...।
03.
तुम चाँद बनाओ
मैं सूरज लाऊँगा...
तुम सपने सजवाओ
मैं धान उगाऊँगा...
- हरलालका बिल्डिंग, एच.एन. रोड, धूबरी-783301, आसाम/मो. 09706265667
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