Sunday, January 12, 2025

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/367                          जनवरी 2025

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 12.01.2025
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


अशोक दर्द 





01.


नदी ने मुसाफिर से कहा

यूँ बैठकर हार का मातम मत मना

अपना हौसला आजमा 

मेरी तरह खुद अपना रास्ता बना।


02.


सूखे पत्ते ने कहा-

जीवन के हर रंग को प्यार कर

बसंत में इतराना मत

पतझड़ को सहर्ष स्वीकार कर।

छायाचित्र : उमेश महादोषी 


03.


धीरज ने कहा हिम्मत से 

मेरे साथ-साथ चल 

जीवन-उपवन महक उठेगा

आज नहीं तो कल।

  • गाँव घाट, डाकघर शेरपुर, तहसील डलहौजी, जिला चंबा-176306, हि.प्र./मो. 9418248262 

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