समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-04/365 दिसम्बर 2024
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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 29.12.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
हलीम आईना
01. पारस
सोना बनें
या
लोहा
यह
मनमर्ज़ी की बात है,
जब कि-
ईश्वर प्रदत्त
‘आत्मबोध’ का पारस
प्रत्येक मनुष्य के
पास है।
02. महाग्रन्थ
संसार को
उन्हीं फटेहाल लोगों ने
ऊपर उठाया है,
जिन्होंने-
मोटे-मोटे ग्रन्थ
लिखने की बजाय,
अपने जीवन को ही
‘महाग्रन्थ’ बनाया है।
03. कविता...
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया |
चहूँ ओर से
थके हारे
आदमी को,
वो शब्द
जो-
हौसला देते हैं,
आप
मानें या न मानें,
वह
शब्द ही-
कविता होते हैं।
- निकट बी. एड. कॉलेज, सकतपुरा, कोटा-324008, राज./मो. 08619442412
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