Sunday, December 22, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-04/364                         दिसम्बर 2024

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 22.12.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


नीना छिब्बर




01. तपिश


सूरज की किरणें

बेचैन हैं आज

उतारने तपिश अपनी

ढूँढ़ती छाँव 

पर

चहुँ ओर है आग।


02. पीले पत्ते


ठूंँठ-सा पेड़

याद कर रोता

हरियाली नहीं

अपने अंतिम बचे

पीले पत्ते।


03. गोल

चित्र : प्रीति अग्रवाल 


फूली गोल रोटी

यूँ तो चाँद से दूर

सड़क कूटता मजदूर

हर गड्ढे में देखे-

भरी हुई थाली।

  • 17/653, चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड, जोधपुर-342008/मो. 09461029319

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