समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /178 मई 2021
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 30.05.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 30.05.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
राजेश 'ललित’ शर्मा
01.
जब तक ख़्वाब था
बहुत हसीन था
ज़मीन हक़ीक़त की मिली
वो पत्थर हो गया।
02.
चाहे पटरी पर
कट गई हो जिंदगी
पटरी पर,
लौट आयेगी जिंदगी
ऐसी आस अभी बाकी है!
03.
मंज़िल मेरी,
है क़रीब
यहीं कहीं,
मैं जानता हूँ
भटक जाता हूँ
हर बार
मैं क्या करूँ?
04.
मरे जो मर गये
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता |
ज़िंदा हैं,
कुछ सपने!
पलकों के नीचे,
आँख खुलेगी;
तो पता चले!
हकीकत क्या है?
- बी-9/ए, डीडीए फ़्लैट, निकट होली चाईल्ड स्कूल, टैगोर गार्डन विस्तार, नई दिल्ली-27/मो. 09560604484
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