Sunday, May 16, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /176                      मई 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 16.05.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


नरेश कुमार उदास




01.


धुन्ध में लिपटे

लगते हैं पहाड़

नदी-नालों 

चारागाहों-पोखरों पर

छायी हैं धुन्ध की परतें

पेड़ों की टहनियों पर

उतर आई है धुन्ध 

सब कुछ धुन्ध में 

समाया लग रहा है।


02.

बादलों के टुकड़े 

उतर आये हैं

पेड़ों की शाखाओं पर

इधर-उधर छितरा रहे हैं

रेखाचित्र : बी मोहन नेगी 
मानो अल्हड़ बच्चों समान

मचले जा रहे हैं

मैं इन्हें छूना चाहता हूँ।


03.


भूख से लड़ती है माँ

भूख से लड़ता है बाप

भूख से लड़ते हैं बच्चे

भूख से लड़ता है

सारा घर।

  • आकाश-कविता निवास, लक्ष्मीपुरम, सै. बी-1, पो. बनतलाब, जि.  जम्मू-181123 (ज-क)/मो. 09419768718

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