Sunday, May 23, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /177                      मई 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 23.05.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


ज्योत्स्ना  प्रदीप




01. मदहोशी 


आज चाँदनी 

नहीं थी होश में 

उतर रही थी 

दरिया के 

आगोश में!


02. क़सक 

माँ बाप की 

गोद में, 

लैपटॉप पाकर 

सो गई थी छुटकी 

आँसुओं में नहाकर!


रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन 
03. महानगर

समय ने जहाँ

लोगों के

दिलों की गुफाओ में

पाट दिए पत्थर

उसे ही कहते हैं शायद

महानगर!!!

  • मकान-32, गली नं. 09, न्यू गुरुनानक नगर, गुलाब देवी हॉस्पिटल रोड, जालंधर-144013, पंजाब/मो. 07340863792 

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