Sunday, May 9, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /175                      मई 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 09.05.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


अनीता ललित 




01.


आदत डाल ली...

तेरा हाथ थामकर चलने की,

बुरा किया!

तुम साथ नहीं देते जब...

रस्ते भी मुँह मोड़ जाते हैं...


02.


आओ चलो ना !

उस पुरानी रहगुज़र पे....

उसी डगर पे....

जहाँ बिछे हैं...

चित्र : प्रीति अग्रवाल 
कुछ बिसरे ख्वाबों के फूल...

चुन लें उन्हें.... भर लें अपने हाथों में....


03. 


बिना आहट के आँखों से...

फिसल गया...

मख़मली-सा ख्वाब,

पुकारूँ अब उसे कैसे...

न पलकों को छुआ उसने...

न दिल में ही उतर पाया...!

  • 1/16, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ-226010, उ.प्र.

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