Sunday, May 2, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /174                      मई 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 02.05.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!   


ज्योत्स्ना शर्मा 





01.


प्रेम बावरा!

महफिल में बेचैन, आहें भरता

छटपटाता है...

कभी तन्हाई में

खुद-ब-खुद मुस्कुराता है।


02.

प्रेम ज़िंदगी है, बन्दगी है

किसी को अलकें, पलकें

कंगन, बिंदिया, पायल है

कोई डूबा है इसमें...

तो कोई प्रेम में घायल है।


03.

रेखाचित्र : सिद्धेश्वर 


मिट जाएँ इसमें

ऐसा भी कहीं होता है

यह मिलन ही नहीं

विरह में भी होता है।

सच में प्रेम... अजर, अमर,

अनंत रस का सोता है।

  • एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053

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