समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /125 मई 2020
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 24.05.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
अमरेन्द्र सुमन
01.
शरीर यह
दूसरों पर निर्भर
जीवन शेष,
जीना अब दूभर।
02.
खाट ही यह
सफर का अंतिम आसन
सुन मेरे दुर्याेधन, दुःशासन!
03.
श्मशान में
सजी चिता है
औलादों से खूब पीड़ित पिता है।
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 24.05.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
अमरेन्द्र सुमन
01.
शरीर यह
दूसरों पर निर्भर
जीवन शेष,
जीना अब दूभर।
02.
रेखाचित्र : संध्या तिवारी |
खाट ही यह
सफर का अंतिम आसन
सुन मेरे दुर्याेधन, दुःशासन!
03.
श्मशान में
सजी चिता है
औलादों से खूब पीड़ित पिता है।
- मणि विला, प्राईमरी स्कूल के पीछे, केवटपाड़ा (मोरटंगा रोड) दुमका-814101, झारखण्ड/मो. 09431779546
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