Sunday, May 3, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद





समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 /122                                 मई  2020


क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }

रविवार  : 03.05.2020 
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


राजवंत राज 







01.

ये बादलों को क्या हो गया है?
पहले शहर को एक साथ भिगोते थे 
अब टुकड़े-टुकड़े में बरसते हैं।
पता नहीं 
शहर बसते-बसते बड़ा हो गया है
या बादलों में पानी कम हो गया है 

02.

चिनार का दरख़्त 
मोगरे के फूल
पारिजात की पंखुड़ियाँ
और गुलाब की ख़ुशबू
कैक्टस ने पूछा ... 
‘‘सब पर तो लिखती हो

रेखाचित्र : (स्व.) बी मोहन नेगी 
मुझ पर क्यों नहीं लिखा?’’
और मैं उसके मासूम सवाल पर
शर्मिंदा हो गई।

03.

दुश्मनी मोल ली 
कोई ग़म नहीं 
बात दिल की कही 
अब तसल्ली है हमें।


  • 201, सूर्यालोक व्यू अपार्टमेन्ट, विकल्प खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ-226010, उ.प्र.

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