भला क्यों डरूँ मैं,
समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /114 मार्च 2020
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
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रविवार : 08.03.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
बेचैन कण्डियाल
01. ख्याल आया
वादे-
तोड़ने के लिये ही
किये जाते हैं बेचैन,
जब-
तुम न आये तो
यह ख्याल आया।
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
इन अँधेरों से
जल-जल कर
जब कोई रोशनी
दे रहा है मुझे।
03. एहसास
भरने नहीं दिया
तब से
अपने जख्मों को मैंने,
भूल का एहसास
कर लेता हूँ
जब-जब दर्द होता है।
- ‘आश्ना’, सी ब्लॉक, लेन नं.4, सरस्वती विहार, अजबपुर खुर्द, देहरादून (उ.खण्ड)/मोबा. 09411532432
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