समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /115 मार्च 2020
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
रविवार : 15.03.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
किन्नर : कुछ क्षणिकाएँ
01.
सम्बोधन
प्रभाव डालता
किन्नर कहने पर
सुख पाता,
‘हिजड़ा’
देह में आग लगाता!
02.
उसका क्या दोष
रेखाचित्र : (स्व.) पारस दासोत |
विधाता ने
उसे किन्नर बनाया,
बधाई दी
मंगलगीत गाया!
03.
मातृत्व के लिए
उसका तड़पना जारी,
कोख हारी!
04.
खुशी में
बधाई गाना,
दुःख में
साथ निभाना
सब कुछ
हँसते-हँसते सह जाना!
- एल.आई.जी.-01ए, सिंगल स्टोरी, बर्रा-06ए कानपुर-208027 उ. प्र./मो. 09455511337
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