समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 95 अक्टूबर 2019
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
रविवार : 27.10.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
उमेश महादोषी
01.
टूटे दिये
जुड़ जायें
और
भोले बाबा
विष
पचाएँ
तब कहीं
हम दीपावली मनाएँ!
02.
धुएँ का विष
साँसों में भर रहा है
संकल्प है मगर
जीवन का
एक दीपक
फिर भी
जल रहा है!
हवा कराहती है
आकाश रोता है
दीपक
दोनों के
आँसू ढोता है
प्रकाश के आँगन में
अब
ऐसा ही होता है!
- 121, इन्द्रापुरम, निकट बी.डी.ए. कॉलोनी, बदायूँ रोड, बरेली-243001, उ.प्र./मो. 09458929004
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