समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 92 अक्टूबर 2019
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रविवार : 06.10.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
लता अग्रवाल
01.
इन आँखों का सूनापन
भाँप गये देखो
गली चौबारे
गुमसुम से बैठे हैं देखो
देहरी और दुवारे।
02.
विश्वास की नैय्या
दरक रही है
किससे आस लगायें
सोच रहे हैं बापू
अब तो ईश्वर
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया |
पास बुलाये।
03.
खुशनसीब हैं
जो पल रहे हैं
साये में
कुनकुनी धूप के
कमनसीबी
क्या कहें
फटक दिए गए
हम नियति के
सूप में।
- 73, यश बिला, भवानी धाम फेस-1, नरेला शन्करी, भोपाल-462041, म.प्र./मो. 09926481878
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