समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-04/370 फरवरी 2025
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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 02.02.2025
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
अर्चना अनुपम
01.
इंसां खरबूजे जैसा नहीं
गिरगिट जैसा भी तो नहीं,
हाँ, कहना यह अतिश्योक्ति नहीं
इंसानुमा एक ही प्रजाति के पौधे में
कई-कई रंग सिमट गये!
02.
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छायाचित्र : उमेश महादोषी |
उछाल मार रहा,
या, मेंढक की टर्र-टर्र में
मेघों का रुदन?
03.
किसी कोने की सिसकी
किसी ज़र्रे की,
किसी तिनके की,
किसी कतरे की आवाज़
तड़की-चमकी है बिजली बन,
नकार दिया दोयम दर्जे का अस्तित्व!
- फ्लैट नंबर 411, बजाज स्कॉय हाइट्स, मठपुरेना, रायपुर-492013, छतीसगढ़/मो. 09131713906
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