Sunday, August 4, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03/344                 अगस्त 2024 


क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 04.08.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  



शशि पाधा 





01.


उसने जो खटकाई साँकल

सिहर उठा था माँ का आँचल 

माँ की गोदी सर रख कर 

न कौंधेगी, न गरजेगी

आज वो केवल बरसेगी.....


02.


तुम फूल बेचती हो 

और 

मैं मुस्कान ख़रीदने आता हूँ 

रेखाचित्र : प्रीति अग्रवाल 

मेरे पास फूलों के लिए 

रूपये नहीं 

और तुम्हारी मुस्कान की 

कोई कीमत नहीं 

तुम यूँ ही फूल बेचो 

मैं यूँ ही मुस्कान खरीदूँगा

कितना ख़ूबसूरत सौदा है न 

हमारे बीच

  • 174/3, त्रिकुटानगर, जम्मू-180012, जम्मू-कश्मीर

ईमेल : shashipadha@gmail.com 

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