समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/345 अगस्त 2024
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 11.08.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
रमा द्विवेदी
01.
रेखाओं की भी,
होती है एक इबारत,
पढ़ सको तो पढ़ लेना।
02.
रेखाएँ!
सोच-समझ कर खींचना
ये अभिशाप भी बन सकती हैं
वरदान भी।
03.
हस्त रेखाएँ,
बताती हैं भाग्य, लेकिन
क्या कोई सच में,
इन्हें पढ़ पाया है!
- फ़्लैट नं.102, इम्पीरिअल मनोर अपार्टमेंट, बेगमपेट, हैदराबाद-500016/मो. 09849021742
No comments:
Post a Comment