समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/340 जुलाई 2024
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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 07.07.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
परमेश्वर गोयल
01.
व्यंग्य
बन्दूक नहीं
अलार्म घड़ी है,
कहता है जागो
विषम घड़ी है!
हाथ बेटी के
पीले करने में
स्वयं सफेद हो गया,
मकान पुरखों का
देखते-देखते खो गया!
- गुलाब बाग, पूर्णिया- 854326, बिहार
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