समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /160 जनवरी 2021
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 24.01.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 24.01.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
उमेश महादोषी
01.
वर्षो से ढूँढ़ रहा हूँ
वो नहीं दिखता
मेरी आँखों के सामने से
निकल जाता है
इक गंध का गुब्बारा
मुझको क्यों नहीं दिखता...
02.
समय कपड़े बदल रहा है
थोड़ी देर को मुँह फेर लो भाई
नयी ड्रेस को
नज़र न लग जाये कहीं!
03.
तुम्हारे चेहरे की लालिमा
अवकाश पर है
कोई बात नहीं
मैं ही थोड़ा हँस दूँगा
घूँघट हटने तो दो
‘आहट’ का!
04.
ये किसे बुलाता है समय, तू!
नहीं जानता
वो एक लठैत की तरह आयेगा...
ऐसा कर भाई!
एक अगरबत्ती सुलगा...
तेरे घर आयेगा
ईश्वर ऐसे ही आयेगा!
-121, इंदिरापुरम, निकट बीडीए कॉलोनी, बदायूँ रोड, बरेली-243001, उ. प्र./ मो. 09458929004
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