समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /158 जनवरी 2021
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 10.01.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 10.01.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शैलेष गुप्त ‘वीर’
01.
थम गया दिन
रुक गयी घड़ी,
‘सुप्रभात सहेली’ के
प्रत्युत्तर की
प्रतीक्षा में,
सुबह का सूरज!
02.
देह के सौन्दर्य से
महत्वपूर्ण है-
‘हम’ के सौन्दर्य को
समझना,
आओ समझें हम!
03.रेखाचित्र : डॉ. संध्या तिवारी
भावों की अभिव्यक्ति
कृत्रिम न प्रमाणित हो,
आओ उकेर दें-
काल की शिला पर
अपनी प्रीति के
कुछ अमिट निशान!
- 24/18, राधा नगर, फतेहपुर-212601, उ.प्र./मो. 09839942005
No comments:
Post a Comment