समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /101 दिसम्बर 2019
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
रविवार : 08.12.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शिव डोयले
01. नदी
यह कैसी
बिडंबना है
विधाता
नदी चढ़ती है
तो सब
देखने आते हैं
सूखती है तो
कोई नहीं आता।
02. आगाह
मैं फूल पर
नहीं लिखूँगा
कविता
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
डर लगता है।
03. सोचना
उस फसल के
बारे में सोचना
अब जरूरी
हो गया है
जिसे
बोता कोई और
काटता है
कोई और!
- 19, झूलेलाल कॉलोनी, हरीपुरा, विदिशा-464001, म.प्र./मो. 09685444352
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