समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 90 सितम्बर 2019
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रविवार : 22.09.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
केशव शरण
01. जनम-मरण
मैं कब पैदा हुआ
तुम कब
हमारा नया जनम हुआ
हम मिले जब
हमारा मरण
साथ हुआ
बस तुम पहले
मैं कई बरस बाद
राख हुआ
02. मेरा चाँद
जिस चाँद को
मैं इतना प्यार करता हूं
उसे खाना चाहते हैं
भूखे लोग
उस पर
क़ब्ज़ा जमाना चाहते हैं
रूखे लोग
बड़ी कठिन लड़ाई है
आसान नहीं आशनाई है
03. उसकी मर्ज़ी, उसकी रज़ा
रेखाचित्र : डॉ. संध्या तिवारी |
क़ुबूल करे
न करे,
इश्क़ की सदाएँ
सुने, न सुने
उसकी मर्ज़ी
उसकी रज़ा है
हुस्न
ख़ुद में ख़ुदा है
- एस-2/564 सिकरौल, वाराणसी-221002, उ.प्र./मो. 09415295137
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