समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 89 सितम्बर 2019
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रविवार : 15.09.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
01.
तुम हो मेरे
अनन्त आकाश
और मैं धरा की
कोमल दूब सी
बरसे तेरा प्यार
मुझपे यूँ
जैसे ओस बून्द हो
वसंत ऋतु सी
02.
ये मोती-सी ओस
चन्द क्षणों में
पूरा करके जीवन
समा जाती
धरती की गोद में
देने किसी पौधे को
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता |
03.
चाँद ने भेजे थे
चाँदनी के हाँथों
जो अनगिनत से सितारे
वो
झिलमिलाते
ओस में ढल
धरती की
प्यास बुझा गए।
- डी-2, सेकेंड फ्लोर, महाराणा अपार्टमेंट, पी. पी. कम्पाउंड, रांची-834001, झारखण्ड/मो. 07717765690
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