Sunday, July 7, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 79                 जुलाई  2019


क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }


रविवार : 07.07.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


पुष्पा मेहरा 







01.       
लहरों ने 
शिलाओं से टकराने की ठान ली 
चलीं, उठीं, टकराईं, चौंकीं
उछलीं, रास्ता खोज बढ़ती गईं... 

02.

विश्वास के आधार पर 
मन्दिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों में 
ईश्वर अपना प्रतिरूप बदल लेता है 
पर अपनी सत्ता नहीं बदलता

03.
बंद झरोखों की झिर्रियों से  
बहने वाली रौशनी को 
एक दिन समन्दर बनने का 
इंतज़ार है            

  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598

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