Sunday, July 21, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 81                जुलाई 2019


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01. समकालीन क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }

रविवार : 21.07.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


जेन्नी शबनम




01. बेसब्र इंतज़ार 

कितने सपने कितने इम्तहान 
अगले जन्म का बेसब्र इंतज़ार,
कमबख्त ये जन्म तो ख़त्म हो!

02. वक्त मिले न मिले 

जो भी लम्हा मिले
चुन-चुनकर बटोरती हूँ,
दामन में अपने
जतन से सहेजती हूँ,
रेखाचित्र : (स्व) बी. मोहन नेगी 
न जाने फिर कभी
वक्त मिले न मिले !

03. ख़ुद को बचा लाई हूँ

कुछ टुकड़े हैं, अतीत के
रेहन रख आई हूँ
ख़ुद को, बचा लाई हूँ। 

साबुत माँगते हो, मुझसे मुझको
लो, सँभाल लो अब
ख़ुद को, जितना बचा पाई हूँ । 

  • द्वारा राजेश कुमार श्रीवास्तव, द्वितीय तल-5/7, सर्वप्रिय विहार, नई दिल्ली-110016

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