समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 52 दिसम्बर 2018
रविवार : 30.12.2018
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
उमेश महादोषी
01.
उत्सव
मैं जरूर मनाता
यदि
दो श्वाँसो के बीच
थोड़ा-सा समय मिल जाता!
02.
चेहरे का उत्सव है
और तुम
पीठ पर सवार हो
रेखांकन : डॉ. सुरेंद्र वर्मा |
तुम किसका सवाल हो!
03.
आज तो देर हो गई है
तुम कल आना
रात ओढ़ लेने के बाद
सूरज से मिलना
अच्छा नहीं लगता!
- 121, इन्द्रापुरम, निकट बी.डी.ए. कॉलोनी, बदायूँ रोड, बरेली-243001, उ.प्र./मो. 09458929004
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