समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 51 दिसम्बर 2018
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शैलेष गुप्त ‘वीर’
01.
‘मोबाइल’ के लिए
‘नेटवर्क’ जैसे था,
उन्हें अपने होने का
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा |
कुछ ऐसे था!
02
चीटियाँ भी
पानी में
चलने लगी हैं
बड़े-बड़े मगरमच्छों को
निगलने लगी हैं
- 24/18, राधा नगर, फतेहपुर-212601, उ.प्र./मो. 09839942005
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