समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 37 अगस्त 2018
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
भावना कुँअर
01. दिल का दर्द
दिल का दर्द...
दिखने नहीं देते
आँसू छिपके पीते
दर्द लकीर...
मान के तक़दीर
मुट्ठी में भर लेते।
02. पतझर
जोड़ा था जो तिनका-तिनका...
जाने कैसे बिखर गया
आया था जो हँसता सावन...
बन पतझर क्यों झर गया।
03. प्यार
प्यार की गहराइयों में
छायाचित्र : जितेन्द्र कुमार |
हमें भनक तक न लगी
पर अस्तित्व गवाँ बैठे।
04. चाहत
समदंर में उठे तूफ़ान-सी
कभी उमड़ती थी तेरी चाहत...
आज तूफ़ान से पहले की
खामोशी-सी क्यों छाई।
05. टिमटिमाते दिए
वो अँधेरे में भी
साफ नज़र आते हैं...
हम रोशन नगर के बाशिंदे
देखो हमें तो लोग
टिमटिमाते दिए बुलाते हैं।
06. यादें
सूखा दीपक
भरा था लबालब
तुम्हारी ही यादों से
जो जल उठा
सँभाला जिसे वर्षों
बड़े ही जतन से।
- सिडनी, आस्ट्रेलिया // भारत में-द्वारा श्री सी.बी.शर्मा, आदर्श कॉलोनी, एस.डी.डिग्री कॉलिज के सामने, मुज़फ़्फ़रनगर(उ.प्र.) ईमेल : bhawnak2002@gmail.com
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