Sunday, August 26, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 40                  अगस्त 2018

रविवार : 26.08.2018

‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



सुरेन्द्र वर्मा





01.

घटता बढ़ता रहता है 
चाँद 
टूटते तो बस 
सितारे ही हैं 

02.

वही गीत 
फिर से गाओ 
कि नींद आ जाए 

03.

चिड़ियों के कलरव से 
पट्टियाँ हिलती हैं-
आओ, मेरी डाल पर बैठो! 

04.

यह दर्द है 
शरीर का ताकत नहीं 
जो चोट खाकर बाहर आ जाए 

05.

अभी तो कच्चा है 
हाथ थाम कर चलता है 
चलना सीख ले फिर रुकता नही 
प्यार 

06.

तुम तो चली गईं 
लेकिन यादों की महक 
यहीं कहीं मंडराती रहती है 
आसपास 

07.

यादें कहीं गुम न हो जाएँ 
कभी उनकी भी 
सुध ले लो 

08.
छायाचित्र : श्रद्धा पाण्डे

खुशगवार है खुश्बू 
फूल को 
डाल पर ही इतराने दो 

09.

मैं मौन था 
लेकिन शब्द गूँजते रहे 
कविता में ढलकर 
कागज़ पर उतरते रहे

  • 10 एच आई जी, 1, सर्कुलर रोड, इलाहाबाद-211001, उ.प्र./मो. 09621222778

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