समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/351 सितम्बर 2024
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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 22.09.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
रमा द्विवेदी
1.
तुम दूर हो या पास ,
तुम्हारे प्यार का अहसास,
मेरी साँसों में ,
रेखाचित्र : बी मोहन नेगी (स्मृतिशेष) |
2.
‘प्यार’ वह संजीवनी है,
जो ऊसर ज़मीन को भी,
उर्वरा बना देती है...
- फ़्लैट नं.102, इम्पीरिअल मनोर अपार्टमेंट, बेगमपेट, हैदराबाद-500016/मो. 09849021742
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