Sunday, September 8, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03/349                 सितम्बर  2024 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 08.09.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


शशि पाधा 





01.

मैं धावक नहीं 

जो जीवन को बस 

दौड़ के जियूँ 

मैं,

ओस की बूँद, किरणों की झिलमिल 

अंकुरित पत्ती, मुस्काती कलियाँ 

हवा की गंध, आकाश का मौन 

सभी देखना और जीना चाहती हूँ 

बोलो- साथ दोगे?


02. अपना घर

मैंने चाहा....

थोड़ा सा आकाश

नदी किनारा

नन्हीं सी बगिया

दो कमरे

रेखाचित्र : राजवंत राज 
नीले पर्दे

कोने में ताज़े फूलों से सजा फूलदान

और तुमने....

थमा दी

लॉकर की चाबी

बैंक की पास बुक

पराये मकान

और मैं जीवन भर

अपना घर ढूँढती रही...

  • 174/3, त्रिकुटानगर, जम्मू-180012, जम्मू-कश्मीर

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