Sunday, May 12, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03/332                 मई 2024 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श {
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 12.05.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


पुष्पा मेहरा




  01.


चाहा था कभी 

समुद्र में तैरूँगी 

क्या पता था-

फिर उससे उबर न पाऊँगी!!


02.

उसने अपनी ही कही 

छायाचित्र : उमेश महादोषी 

मेरी कभी न सुनी 

न ही मुझ पर विश्वास किया 

अब अपने ही हाथों 

माथे से सिर टिका 

घुमावदार सीढ़ियों पर 

धूप में बैठा तप रहा है।


  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598

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