समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/330 अप्रैल 2024
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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 28.04.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
उमेश महादोषी
1.
आत्मा को उमेठती है
हवा
निचोड़कर पी जाती है
संस्कारों को
कब तक सहें हम
यह भयावह तपिश!
2.
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया |
कुल्हड़ों में
ठंडाता मिला- सूरज
देखो,
दिल्ली का यह हाल है!
- 121, इंदिरापुरम, निकट बीडीए कॉलोनी, बदायूं रोड, बरेली-243001, उ.प्र./मो. 09458929004
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