समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/329 अप्रैल 2024
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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 21.04.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
नरेश कुमार उदास
01.
जब मैं
अकेला होता हूँ
तो अपनी कमजोरियों से
लोहा लेता हूँ
लड़ता हूँ
कभी जीतता हूँ
तो कभी
हारने भी लगता हूँ!
रेखाचित्र : के के अजनबी |
मन
तू कभी
इधर भटके
भटके कभी उधर
तुझे न जाने
चैन मिलेगा
किधर!
- अकाश-कविता निवास, लक्ष्मीपुरम, सै. बी-1, पो. बनतलाब, जि. जम्मू-181123 (ज-क)/मो. 09419768718
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