Sunday, March 10, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03/323                 मार्च 2024

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 10.03.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


मिथिलेश दीक्षित




01.

झूठ के पैरों

कुचलकर

सच अकेला चला,

भीड़ ने भी छला।


02.


मंज़िल के

क़दमों को कैसे 

चूमेंगे,

जब खण्ड-खण्ड में 

एक दायरे में 

घूमेंगे!


03. 

रेखाचित्र : के के अजनबी 

हम नहीं होंगे

हमारी अस्मिता होगी,

धरा होगी,

हमारी अक्षरा की

गूँजती 

वाणी परा होगी!

  • जी-91,सी, संजयपुरम लखनऊ-226016 (उ.प्र.)

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