Sunday, December 3, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                     ब्लॉग अंक-03/309                  दिसम्बर 2023 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 03.12.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


अनीता ललित




01.


अनजाने में ही सही...

तुमने ही खड़े किए बाँध...

अना के...

वरना... मेरी फितरत तो

पानी-सी थी...!


02.


बड़ी-बड़ी खुशियाँ ढह जाती हैं...

छोटी-छोटी नज़रअंदाजी से कभी...

खिली बहार में बिखर जाते हैं...

यूँ ही रिश्ते...

सूखे पत्तों की तरह कभी-कभी...

चित्र : प्रीति अग्रवाल 


03.


तेरी हसरत की बारिश में

कुछ यूँ भीगे हम...

सील गई मेरी हस्ती...

पर सूखा रह गया मन...

  • 1/16, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ-226010, उ.प्र.

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