समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/305 नवम्बर 2023
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 05.11.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 05.11.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
घनश्याम मैथिल ‘अमृत’
01. आरोप
जिनपर
जंगल साफ करने के
हैं आरोप,
वे भी कहते हैं
एक पेड़ दें आ रोप।
2. वेदना
चाहे भले पढ़ो
वेद ना,
हो सके हरो
लोगों की वेदना।
मतभेद भूल
सबसे मिल,
मत ‘भेद‘ कभी
किसी का दिल।
- जी/एल-४३४ अयोध्या नगर, भोपाल, म. प्र./मो. 09589251250
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