Sunday, October 29, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03/304                     अक्टूबर  2023 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 29.10.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


मिथिलेश दीक्षित




01.


फूल न जाने

भावी कल को,

फिर भी खिल जाता

कुछ पल को!


02.


चिढ़ा रहा

ईमान मुझे

घर का दरवाज़ा

सूनाकर,

रहे-बचे

रिश्तों को तोड़ा

सच्चाई की संगत ने!

रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन 


03.

घर दौलत से

पटा हुआ है

पर अन्दर से 

बँटा हुआ है!

  • जी-91,सी, संजयपुरम लखनऊ-226016 (उ.प्र.)/मो. 06389178793 

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