समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/297 सितम्बर 2023
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02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 10.09.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’
01. जिंदगी
जिस शिद्दत से देखते हो
तुम मेरा चेहरा,
काश! जिंदगी भी
उतनी ही कशिश-भरी होती!
02. मिलन में भी
प्रेम की पराकाष्ठा
तुमसे लिपटी हुई
तुम्हारे पास ही होती हूँ
तब भी तुम्हारी ही
याद में रोती हूँ।
03. हे प्रिय
हे प्रिय!रेखाचित्र : शशिभूषण बड़ोनी
पुस्तकालय की पुस्तक-सी मैं
शीशे की सुन्दर बुक रैक में कैद
तुम मॉडर्न युग के पाठक से
पूरा संसार लिये मोबाइल हाथ में
किन्तु, मेरे चेहरे पर लिखे
शब्दों को पढ़ना तो दूर
मुझ पर पड़ी- धूल भी नहीं झाड़ते!
- II S-3, B.T. HOSTEL, UNIVERSITY CAMPUS, MADHI CHAURAS, P.O. KILKILESHWAR, TEHRI,Garhwal- 249161 Uttarakhand
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