समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/296 सितम्बर 2023
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 03.09.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 03.09.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
01.
तन पर
डिग्रियों का बोझ
पीठ झुकी
सामने
लम्बी अँधेरी गली।
एक चादर थी अभावों की
हमारे पास
वह भी खो गई।
इतने दिनों में सूरतें सब
बहुत अजनबी
हो गई।
- 1704-बी, जैन नगर, गली नं. 4/10, कश्मीरी ब्लॉक, रोहिणी सैक्टर-38, कराला, दिल्ली-110081/मो. 09313727493
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